• अंतिम अपडेट किया गया: Apr 19 2024 4:40PM
स्वच्छ भारत और डिजिटल इंडिया

एचआरडीजी के बारे में

देश में अनुसंधान एवं विकास संबंधी गतिविधियों को सहायता देने में सीएसआईआर का स्‍थान अग्रणी है ।


इसने वाणिज्‍य विभाग के दिनांक 26 सितंबर 1942 के संकल्‍प संख्‍या 148.Ind(157)/41  के माध्‍यम से  विश्‍वविद्यालयों व अनुसंधान एवं विकास संस्‍थानों में कार्यरत वैज्ञानिकों हेतु एक्‍स्‍ट्रामूरल रिसर्च सहायता ‘अनुसंधान योजनाओं’ के साथ एक अवधि पहले अर्थात 1943 में आरंभ की  ।


सीएसआईआर ने छात्रों को लाभान्वित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में ऐसी विभिन्‍न योजनाएँ  शुरु की हैं ताकि वे  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्‍न क्षेत्रो में अपने शोध हितों को जारी रख सकें । इन क्षेत्रों में जेआरएफ के लिए सीएसआईआर-यूजीसी राष्‍ट्रीय पात्रता प‍रीक्षा और लेक्‍चरशिप हेतु पात्रता सर्वाधिक उल्‍लेखनीय है ।


वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय  मानव संसाधन विकास में सीएसआईआर की भूमिका उल्‍लेखनीय है । वाणिज्‍य विभाग के दिनांक 26 सितंबर 1942 के संकल्‍प सं. 148.Ind(157)/41 के माध्‍यम से रिसर्च फैलोशिपों को परिषद के कार्य के रुप में अभिनिर्धारित किया गया है । वर्तमान में, सीएसआईआर बड़ी संख्‍या में रिसर्च फैलोस/एसोसिएटों को सहायता प्रदान कर रहा है ताकि वे देश के विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों एवं अनुसंधान व विकास संस्‍थानों में अपने डॉक्‍टरल तथा पोस्‍टडॉक्‍टरल अनुसंधान जारी रख सकें ।


वर्ष 1957 में स्‍थापित सीएसआईआर का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हेतु शांति स्‍वरुप भटनागर (एसएस‍बी) पुरस्‍कार देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र का सबसे अधिक प्रतिष्ठित और सम्‍माननीय पुरस्‍कार है । वर्षो से, एसएसबी पुरस्‍कार प्राप्‍तकर्ताओं को राष्‍ट्रीय तथा अंतर्राष्‍ट्रीय अकादमियों/सोसाइटियों इत्‍यादि की फैलोशिप से सम्‍मानित किया जाता रहा है ।